अनवा उपजावा पिया

भोजपुरी कजरी लोक गीत _ अनवा उपजावा पिया।

आइल रोपनी के महीना हाली घरे आवा पिया ।
संगवा चली रोपनी करवावा पिया ।
खेती से अनवा उपजावा पिया ना।

घेरे घटा घनघोर बहे हवा झकझोर।
खेतवा में बीरा उखड़ावा पिया ।
हाली धनवा रोपवावा पिया ।
खेती से अनवा उपजावा पिया ना।

गइल साड़ी मोरी फाटी का देहिया में साटी ।
बनारसी साड़ी हमके पहिनावा पिया ।
हमके नजर ना लगावा पिया ।
खेती से अनवा उपजावा पिया ना।

पनिया मारेला हीलोर हरवा चलावा तनी जोर।
गाई गीत कजरी सुनावा पिया ।
मुसकाई हमके रिझावा पिया।
खेती से अनवा ऊपजावा पिया ना।

बिजुरी चमके बड़ी जोर डरिया लागे हीया मोर।
बरखा से अंचरा बचावा पिया।
बदरी में बहरी ना जाया पिया।
खेती से अनवा ऊपजावा पिया ना।

गीतकार 
श्याम कुंवर भारती (राजभर)
बोकारो, झारखंड 
मॉब.9955509286

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